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Thursday, October 22, 2015

Happy Dussehra - 2015




फिर से राम हुए बनवासी,
छायी सब पर आज उदासी
लक्ष्मण के पांवों में छाले,
फिर से समय-चक्र ने डाले।
रावण करता है मनमानी,
छलता सीता को अज्ञानी
हर रावण के अब विरोध में
हमको शोर उठाना है,
रावण हमें जलाना है।

कोई सोये यहां टाट पर,
कोई मखमल और खाट पर।
कोई खाता बालूशाही,
भूख मचाती कहीं तबाही|
कहीं मनाते लोग दीवाली,
कहीं बसी हैं रातें काली|
कैसे भी हो, भेदभाव यह
अब तो हमें मिटाना है,
रावण हमें जलाना है।

........आप सभी को मेरे और मेरे परिवार की तरफ से दशहरा एवं विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाये

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